सुलझा विवाद: पुजारी के शव की तीसरे दिन हुई अंत्येष्टि, 10 लाख रुपए व संविदा नौकरी पर बनी बात

एनसीआई@सपोटरा/करौली
करौली जिले के सपोटरा क्षेत्र के बूकना गांव में गुरुवार सुबह मंदिर के पुजारी को पेट्रोल डालकर जला देने के बाद चला आ रहा बड़ा विवाद आज शाम सुलझ गया। भाजपा नेता एवं सांसद डॉ. किरोड़ी लाल मीणा की मध्यस्था में प्रशासन के नुमाइंदों से हुई वार्ता के बाद पीड़ित परिवार की मांगों को आंशिक रूप से मान लिया गया। इसके बाद मीणा ने धरना समाप्ति की घोषणा की। तब जाकर तीसरे दिन पुजारी के शव का दाह संस्कार हो सका।
उल्लेखनीय है कि शुक्रवार शाम शव के गांव पहुंच जाने के बाद से पुजारी के परिजन व ग्रामीण उनकी मांगों को नहीं माने जाने तक अंत्येष्टि नहीं किए जाने पर अड़ गए थे। इन मांगों को लेकर उन्होंने धरना शुरू कर दिया था। उनकी मांगों में सभी आरोपियों की गिरफ़्तारी, मृतक के परिवार को 50 लाख का मुआवजा व परिवार के सदस्य को सरकारी नौकरी देना मुख्य रूप से शामिल थीं। इस धरने में आज सांसद डॉ. किरोड़ी लाल मीणा भी शामिल हो गए थे।
यह था मामला
गुरुवार सुबह मंदिर की भूमि पर आरोपी अपने मवेशियों के लिए छप्पर लगाकर अतिक्रमण कर रहे थे। पुजारी बाबूलाल ने इसका विरोध किया तो आरोपियों ने उन पर पेट्रोल डालकर आग लगा दी। मौके पर छप्पर होने के कारण आग तेजी से फैली, इससे पुजारी बाबूलाल बुरी तरह झुलस गए। उन्हें गम्भीर हालत में पहले सपोटरा अस्पताल ले जाया गया, मगर वहां से हालत गम्भीर होने के कारण उन्हें जयपुर रेफर कर दिया गया। वहां एसएमएस अस्पताल में शाम को उनकी मौत हो गई। मौत से पहले पुजारी ने पुलिस को बयान दर्ज कराए, जिनके आधार पर पुलिस ने मामला दर्ज किया। इसके आधार पर मुख्य आरोपी कैलाश मीणा को देर रात गिरफ्तार कर लिया गया, जबकि शंकर मीणा, नमो मीणा, रामलखन मीणा आदि की तलाश जारी है।
ये थी मांगें और यह मिला
मृतक के पुत्र को सरकारी नौकरी की मांग के बदले संविदा पर नौकरी, परिवार को 50 लाख रुपए के मुआवजे के बदले 10 लाख रुपए, सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के मामले में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत डेढ़ लाख रुपए दिए जाने व सभी आरोपियों की शीघ्र गिरफ्तारी का आश्वासन भी मिला है। इसके अलावा थानेदार व पटवारी को हटा दिया गया था। जांच में थानेदार की लापरवाही सामने आने के बाद उनके खिलाफ अन्य आवश्यक कार्रवाई भी की जाएगी। परिवार की सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता करने की मांग के सम्बन्ध में कोई जानकारी सामने नहीं आई है।
उल्लेखनीय है कि एसएमएस अस्पताल, जयपुर में भी परिजनों ने मांगों को लेकर शव लेने से इनकार कर दिया था। काफी समझाइश के बाद वे शव लेकर गांव पहुंचे। इस मामले में ब्राह्मण समाज सहित अन्य संगठनों ने कई जगह प्रदर्शन कर शासन प्रशासन को अपने मांग पत्र सौंपे थे। पुजारी मंदिर में सेवा-पूजा करने के अलावा मंदिर की जमीन पर खेती कर परिवार पाल रहे थे। उनके परिवार में 6 पुत्रियां व एक पुत्र है, मगर वह पुत्र भी मानसिक रूप से कमजोर है। चार पुत्रियों की शादी हो चुकी है। पुजारी की मौत से परिवार के सामने भरण पोषण का संकट पैदा हो गया था।