चीन ने भारतीय सीमा के पास दागीं मिसाइलें, रॉकेटों की बारिश

चीन की सेना पीएलए ने भारतीय लद्दाख के पास 47 मीटर की ऊंचाई पर जोरदार युद्धाभ्यास किया। चीन के सरकारी अखबार का दावा है कि इस अभ्यास में 90 फीसदी नए हथियारों का इस्तेमाल किया गया।
एनसीआई@सेन्ट्रल डेस्क
पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास चीन से जारी सीमा विवाद के बीच इससे कई दौर की बातचीत होने के बावजूद भी हालात सुधरते दिखाई नहीं दे रहे हैं। इस बीच चीनी सेना पीएलए ने भारत पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने के लिए हमारी सीमा के ठीक नजदीक जोरदार युद्धाभ्यास किया। चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स का दावा है कि लाइव फायर एक्सरसाइज में इस्तेमाल किए गए 90 फीसदी हथियार व उपकरण नए हैं।
ग्लोबल टाइम्स ने कहा कि यह अभ्यास 4700 मीटर की ऊंचाई पर पीएलए के तिब्बत थिएटर कमांड की ओर से किया गया। ग्लोबल टाइम्स ने इस अभ्यास का एक वीडियो भी जारी किया है। इसमें नजर आ रहा है कि चीनी सेना अंधेरे में ड्रोन विमानों की मदद से हमला बोलती है। वीडियो में नजर आ रहा है कि चीनी सेना की रॉकेट फोर्स एक साथ जोरदार हमले करके एक पूरे पहाड़ी इलाके को तबाह कर देती है।
कंधे पर रखकर दागी जाने वाली मिसाइलों का भी प्रदर्शन
चीनी सेना ने इस युद्धाभ्यास में गाइडेड मिसाइल के हमले का भी अभ्यास किया। इस दौरान चीनी सेना की तोपों ने भी जमकर बम बरसाए। पीएलए के सैनिकों ने कंधे पर रखकर दागे जाने वाली मिसाइलों का भी प्रदर्शन किया। माना जा रहा है कि चीनी अखबार ने आगामी भारत-चीन वार्ता के चलते भारत पर दबाव बनाने के लिए यह वीडियो जारी किया है।
उल्लेखनीय है कि भारत और चीन के बीच कई दौर की वार्ता हो चुकने के बाद भी लद्दाख मसले पर गतिरोध वैसे ही बना हुआ है।
चीन पर बरसे भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर
भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि सीमा पर बड़ी संख्या में चीनी सैनिकों की तैनाती पूर्व में हुए करारों का उल्लंघन है। जब दो देशों के सैनिक तनाव वाले इलाकों में मौजूद रहते हैं तो वही होता है जो 15 जून को हुआ। जयशंकर ने कहा, यह बर्ताव न सिर्फ बातचीत को प्रभावित करता है, बल्कि 30 वर्ष के सम्बन्धों को भी खराब करता है।
जयशंकर ने कहा कि भारत और चीन के रिश्तों के मूल में सीमा पर शांति और स्थिरता कायम रखना था, लेकिन फिलहाल सीमा पर जो तनाव है उसका असर दोनों देशों के रिश्तों पर पड़ना तय है। इससे पहले विदेश मंत्री ने शुक्रवार को एशिया सोसायटी के एक वर्चुअल कार्यक्रम में कहा, ‘1993 से अब तक दोनों देशों के बीच कई करार हुए, जिन्होंने शांति और स्थिरता कायम करने का ढांचा तैयार किया। इन करारों में सीमा प्रबंधन से सैनिकों के बर्ताव तक सब बातों को शामिल किया गया, लेकिन जो इस साल हुआ उसने सभी करारों को खोखला साबित कर दिया।”