बून्दी: गठन का विरोध होने पर अब संयुक्त व्यापार संघ ने भी दिया जवाब, लगाए गम्भीर आरोप

एनसीआई@बून्दी
संयुक्त व्यापार संघ के गठन का शहर के कई व्यापार संगठनों की ओर से विरोध सामने आने पर, संयुक्त व्यापार संघ ने भी आज अपने विरोधियों को जवाब दिया है। इसमें संघ के अध्यक्ष प्रेम प्रकाश एवरग्रीन ने विरोधियों पर गम्भीर आरोप लगाए हैं। न्यूज़ चक्र इंडिया डॉट कॉम रविवार को इन आरोपों पर विरोधियों का पक्ष भी प्रकाशित करने का प्रयास करेगा।

अध्यक्ष प्रेम प्रकाश एवरग्रीन ने अपने जवाब में कहा है कि सभी व्यापार मंडलों को मिलाते हुए संयुक्त व्यापार महासंघ बनाने की प्रक्रिया लगभग तीन-चार वर्षों से चल रही थी। इसी सम्बन्ध में कई बार मीटिंग आयोजित हुई। कपड़ा व्यापार संघ ने इसकी शुरुआत की थी। इसमें एक कोर कमेटी का गठन किया गया। सभी व्यापार मंडल के अध्यक्षों से एक निर्धारित शुल्क इसके गठन के लिए लिया गया था। मगर उस शुल्क का विवरण अभी तक कई बार पूछने के बावजूद नहीं दिया गया है। साथ ही महासंघ बनाने के सम्बन्ध में कई बार बैठकें आयोजित होने के बावजूद एक दूसरे से खींचातान तथा कुछ व्यापार अध्यक्ष, जो स्वयं को या एक दूसरे को महासंघ का अध्यक्ष बनाना चाह रहे थे, वे महासंघ का गठन नहीं होने दे रहे थे। प्रेम प्रकाश का कहना है कि, ऐसे में उस प्रकिया को आगे बढ़ाने का प्रयास वर्तमान में बनाए गए संयुक्त व्यापार संघ में शामिल सभी व्यापार संघों के अध्यक्षों ने कई बार किया। मगर अहम व महत्वकांक्षी सोच के कारण कुछ लोगों ने सभी व्यापारियों की परेशानियों को ताक पर रख महासंघ का गठन नहीं होने दिया। इस पर व्यापारियों की समस्याओं के समाधान के लिए संयुक्त व्यापार संघ के सभी व्यापार मंडलों ने एकजुट होकर महासंघ न बनाते हुए सिर्फ संयुक्त व्यापार संघ का गठन किया। इसमें 18 व्यापार संघ होने के कारण इसे संयुक्त व्यापार संघ नाम दिया गया। अब इसकी प्रक्रिया महासंघ निर्माण के लिए जारी रहेगी। प्रेम प्रकाश का आरोप है कि, परन्तु कुछ बाजार अध्यक्ष अपनी महत्वाकांक्षाओं के चलते इसे सहन नहीं कर पा रहे हैं। इसका विरोध जताने के लिए कुछ शेष बचे व्यापार संघों के अध्यक्षों से जबरदस्ती साइन करवाए जा रहे हैं। जबकि संयुक्त व्यापार संघ का गठन जिन व्यापार मंडलों के सहयोग से हुआ है, वे सभी व्यापार मंडल इसमें सहमति पत्र भरकर, इसके सदस्य बने हैं। केवल एक या दो व्यापार संघ के अध्यक्ष बैठक में उपस्थित नहीं हुए थे। उन्होंने हमारे द्वारा सूचना भेजने के बाद अपने सचिव, उपाध्यक्ष या कोषाध्यक्ष को इसमें भेजा था। उनकी सहमति के साथ ही उनके व्यापार संघ का नाम हमने प्रकाशित किया है। फिर भी अगर संयुक्त व्यापार संघ से जुड़े किसी व्यापार संघ के अध्यक्ष किसी दबाव में आकर इसे गलत बताते हैं तो हम उनके द्वारा दिए गए सहमति पत्र की प्रति उपलब्ध करा सकते हैं। उसे सोशल मीडिया या मीडिया पर जारी कर सकते हैं। वहीं पूर्व में जिस महासंघ के गठन के लिए शुल्क लिया गया था, हम उसका विवरण प्रस्तुत करने की मांग करते हैं।