June 22, 2025

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राजस्थान: दिवाली के 4 दिन पहले पता चलेगा पटाखा चला सकते हैं या नहीं, हाईकोर्ट में 10 नवम्बर तक सुनवाई टली

राजस्थान: दिवाली के 4 दिन पहले पता चलेगा पटाखा चला सकते हैं या नहीं, हाईकोर्ट में 10 नवम्बर तक सुनवाई टली

आतिशबाजी बैन मामला: राजस्थान हाईकोर्ट में सुनवाई टलने के बाद पटाखा व्यापारियों की एसोसिएशन सुप्रीम कोर्ट जाने पर कर रही विचार, हाईकोर्ट 10 नवम्बर को करेगा सुनवाई
एनसीआई@जयपुर
राजस्थान में आतिशबाजी बिक्री पर लगी पाबंदी को हटाने के मामले में शुक्रवार को हाईकोर्ट में होने वाली सुनवाई 10 नवम्बर तक के लिए टल गई। हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई दूसरी बात टली है। इस प्रकार अब दीवाली के 4 दिन पहले ही पता चलेगा कि राजस्थान के वाशिंदे कानूनी तौर पर पटाखे चला पाएंगे या नहीं।
हाईकोर्ट में इस सम्बन्ध में याचिका दाखिल करने वाली राजस्थान फायर वर्क्स डीलर एंड मेन्यूफेक्चर्स एसोसिएशन के वकील आरएन माथुर ने बताया कि सरकार ने पटाखा बिक्री और आतिशबाजी करने पर जो रोक लगाई थी, उस पाबंदी को हटाने के लिए याचिका लगाई गई थी। माथुर ने बताया कि इस पर शुक्रवार को सुनवाई होनी थी, लेकिन कोर्ट ने अब हमें 10 नवम्बर को सुनवाई करने का समय दिया है। इधर, एसोसिएशन के प्रचार मंत्री जाहिर अहमद ने बताया कि याचिका पर सुनवाई टलने से पटाखा व्यापारी अब परेशान हैं कि दीपावली आने में एक सप्ताह का ही समय बचा है। ऐसे में उनके कारोबार का क्या होगा। इसलिए हम अब विचार कर रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट जाएं।इसके लिए हम कानूनी राय भी ले रहे हैं।
यह है मामला
उल्लेखनीय है कि राजस्थान सरकार ने पूरे प्रदेश में 31 दिसम्बर तक के लिए आतिशबाजी करने और पटाखा बेचने पर रोक लगा दी है। ऐसा करते पाए जाने पर सम्बन्धित व्यक्ति या विक्रेता पर जुर्माना लगाने का भी प्रावधान किया गया है। सरकार के इस फैसले के बाद पटाखा कारोबार से जुड़े हजारों लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट आ गया है। यह भी समस्या है कि जो पटाखे बनकर तैयार हो गए हैं, पाबंदी के बाद उनका क्या किया जाए।
पीआईएल का भी कोर्ट ने किया निस्तारण
हाईकोर्ट में आज आतिशबाजी पर रोक लगाने के लिए लगी एक पीआईएल पर भी सुनवाई थी। इसका निस्तारण भी किया गया। इसमें कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार ने आतिशबाजी पर रोक का आदेश जारी कर दिया है। ऐसे में जिस उदेश्य के लिए पीआईएल लगी है वह पूरा हो चुका है। इसलिए आगे इस मामले में सुनवाई का कोई मतलब ही नहीं रह जाता।

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