राजस्थान के पूर्व मंत्री भरत सिंह कुंदनपुर का निधन, एसएमएस अस्पताल में थे भर्ती
भरत सिंह कुंदनपुर राजस्थान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता थे। सांगोद विधानसभा क्षेत्र से चार बार विधायक रहे। उनका राजनीतिक सफर ग्राम पंचायत स्तर से शुरू हुआ था, वो 1977 से 1981 तक कुंदनपुर ग्राम पंचायत के सरपंच भी रहे।
एनसीआई@जयपुर
राजस्थान के पूर्व मंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता भरत सिंह कुंदनपुर का सोमवार रात 75 वर्ष की आयु में जयपुर के सवाई मान सिंह अस्पताल में निधन हो गया। वे लम्बे समय से फेफड़ों की बीमारी से पीड़ित थे। पहले उनका इलाज कोटा में चला, फिर चिकित्सकों ने उन्हें जयपुर रेफर कर दिया था। करीब एक महीने से उनका एसएमएस अस्पताल में इलाज चल रहा था।
भरत सिंह का जन्म 15 अगस्त 1950 को हुआ था। उन्होंने गुजरात की एमएस बड़ौदा यूनिवर्सिटी से बेचलर्स की पढ़ाई की थी। वे 2018 में सांगोद से अंतिम बार विधायक चुने गए थे। इस कार्यकाल में उन्होंने पार्टी के बड़े नेताओं की नीतियों पर भी सवाल उठाए।
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट कर भरत सिंह को श्रद्धांजलि दी और लिखा , ”पूर्व मंत्री श्री भरत सिंह कुंदनपुर के निधन का समाचार मिला. मैं कल ही एसएमएस अस्पताल जाकर उनसे कुशलक्षेम पूछकर आया था। डॉक्टरों ने उनकी तबीयत में सुधार बताया था, परन्तु आज ऐसा समाचार मेरे लिए व्यथित करने वाला है। श्री भरत सिंह कुंदनपुर राजनीति एवं जनसेवा में बेबाकी एवं ईमानदारी की मिसाल थे। वो हाड़ौती क्षेत्र के कद्दावर नेता थे।”
उन्होंने आगे लिखा, ”उनके परिवार से सम्बंध उनके पिताजी के समय से थे, जब मैं उनके साथ लोकसभा सांसद बना था। श्री भरत सिंह कुंदनपुर मेरे साथ मंत्री भी रहे। मैं ईश्वर से श्री भरत सिंह जी की आत्मा को शांति एवं उनके परिजनों को हिम्मत देने की प्रार्थना करता हूं।”
सरपंच से मंत्री तक का सफर
भरत सिंह कुंदनपुर राजस्थान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता थे और कोटा जिले की सांगोद विधानसभा सीट से चार बार विधायक रहे। उनका राजनीतिक सफर ग्राम पंचायत स्तर से शुरू हुआ था। वो 1977 से 1981 तक कुंदनपुर ग्राम पंचायत के सरपंच रहे। कुंदनपुर ने स्थानीय स्तर पर अपनी ईमानदार और बेबाक छवि से राजनीति में पहचान बनाई। धीरे-धीरे उन्होंने कांग्रेस संगठन में सक्रिय भूमिका निभाई और सांगोद से विधानसभा चुनाव जीतकर राजस्थान की राजनीति में अपनी जगह बनाई।
संभाले थे कई अहम मंत्रालय
विधायक बनने के बाद उन्होंने राज्य सरकार में मंत्री के रूप में भी कार्य किया, जहां उन्हें पंचायती राज और लोक निर्माण विभाग (PWD) जैसे अहम मंत्रालयों की जिम्मेदारी सौंपी गई। उनके कार्यकाल के दौरान उन्होंने ग्रामीण विकास, सड़क निर्माण और पंचायत संस्थाओं के सशक्तिकरण पर ध्यान दिया। हालांकि, वे पार्टी नेतृत्व के खिलाफ अपनी बेबाक राय के लिए भी जाने जाते रहे। उन्होंने कई बार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनके मंत्रियों के कामकाज पर सवाल उठाए।
अंतिम पत्र में सियासत से संन्यास लेने की घोषणा की थी
वर्ष 2023 में भरत सिंह ने राज्य वन्यजीव बोर्ड से इस्तीफा दिया और विधानसभा चुनाव न लड़ने का ऐलान किया था। अपने ‘अंतिम पत्र’ में उन्होंने जनता, समर्थकों और आलोचकों का आभार व्यक्त करते हुए राजनीति से संन्यास की घोषणा की थी। उन्होंने पार्टी को संदेश दिया कि अब वरिष्ठ नेताओं को पीछे हटकर युवाओं को आगे बढ़ने का मौका देना चाहिए।
उनके परिवार में पत्नी मीना देवी और दो पुत्र हैं। एक महीने से परिवार जयपुर में इलाज के दौरान साथ ही था। भरत सिंह के पिता जुझार सिंह भी सांसद रहे थे। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि भरत सिंह ने जनसेवा को अपना जीवन समर्पित किया। वे सिद्धांतनिष्ठ, सरल और जनहित के प्रति समर्पित नेता थे। उनका निधन सांगोद और राजस्थान की राजनीति के लिए बड़ी क्षति है।
