राजस्थान: पेपर में ‘मराठा’ की जगह ‘पराठा’ छपने पर भड़के छात्र, बोले- इतिहास का मजाक बनाया, इससे पहले भी बीसीए का पेपर सिलेबस से बाहर था, परीक्षा नियंत्रक ने दिया इस्तीफा
एनसीआई@उदयपुर
मोहनलाल सुखाड़िया यूनिवर्सिटी में बीए चौथे सेमेस्टर के इतिहास के पेपर में बड़ी गलती सामने आई। पेपर में ‘मराठा’ की जगह ‘पराठा’ छप गया। इस गलती से नाराज छात्रों ने सोमवार को रजिस्ट्रार के सामने विरोध जताया। छात्र नेता प्रवीण टांक ने कहा कि पहले भी बीसीए का पेपर सिलेबस से बाहर था, लेकिन उसका कोई समाधान नहीं हुआ। अब इतिहास के पेपर में यह गलती सामने आई, जिससे इतिहास का मजाक बना।
छात्र नेता त्रिभुवन सिंह राठौड़ ने कहा कि अगर छात्र गलती करते हैं तो उनके नम्बर काटे जाते हैं, लेकिन यूनिवर्सिटी की गलती पर कोई कार्रवाई नहीं होती। एबीवीपी के महानगर मंत्री पुष्पेंद्र सिंह राठौड़ ने मांग की कि सभी छात्रों को औसत अंक देकर पास किया जाए।
विश्वविद्यालय में शनिवार को बीए हिस्ट्री फोर्थ सेमेस्टर का पेपर था। पेपर में हिस्ट्री ऑफ इंडिया फ्रॉम 1885 से 1964 के पेपर में 1857 की क्रांति से पहले के सवाल पूछे गए और पेपर में पूछे गए सवाल उस कोर्स में नहीं थे। पेपर में मराठा को पराठा लिखा गया। जब इसकी जानकारी एबीवीपी के कार्यकर्ताओं को हुई तो वह छात्रों के साथ प्रशासनिक भवन पहुंचे और रजिस्ट्रार कार्यालय में जमकर हंगामा किया।
परीक्षा नियंत्रक ने दिया इस्तीफा
जब रजिस्ट्रार के पास कोई जवाब नहीं मिला तो परीक्षा नियंत्रक पीएस राजपूत को वहां पर बुलाया गया। परीक्षा नियंत्रक ने भी जानकारी होने से इनकार कर दिया और मामले की जांच कराने की बात कही। उसके बाद एबीवीपी के कार्यकर्ता आक्रोशित हो गए। जब छात्रों ने परीक्षा नियंत्रक से ज्यादा सवाल पूछे तो परीक्षा नियंत्रक ने हाथों-हाथ पद से इस्तीफा दे दिया। रजिस्ट्रार वीसी गर्ग ने बताया कि इस्तीफा अभी मंजूर नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि फाइल कुलपति को भेज रहे हैं। इसमें अंतिम फैसला कुलपति ही करेंगे। वहीं, प्रशासन ने एबीवीपी कार्यकर्ताओं और छात्रों को दो दिन का समय देते हुए कहा कि इस पर जांच होगी।
कुलपति ने बताता था औरंगजेब को अच्छा प्रशासक
मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय अक्सर विवादों में बना रहता है। कुछ महीने पहले ही कुलपति प्रो. सुनीता मिश्रा ने औरंगजेब को अच्छा प्रशासक बता कर विवाद खड़ा कर दिया था। इसके बाद विश्वविद्यालय में छात्रों ने जमकर प्रदर्शन किया। कुलपति आवास तक प्रदर्शन हुआ और कुलपति को एक महीने के लिए छुट्टी पर जाना पड़ा। बाद में कुलपति ने इस पर सार्वजनिक तौर पर माफी मांगी।
