पाकिस्तान से आए 9 लोगों को मिली भारतीय नागरिकता, बताया वहां कितने दयनीय हैं हिन्दुओं के हालात
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एनसीआई@उदयपुर
पाकिस्तान से भारत आए 9 हिन्दुओं को आज भारतीय नागरिकता प्रदान की गई। इससे इनकी खुशी का पारावार नहीं रहा। इसके बाद उन्होंने पाकिस्तान में रहने वाले अल्पसंख्यक हिन्दुओं के दुखद हालातों के बारे में बताया। सिंधी समाज के इन लोगों को उदयपुर जिला कलक्टर ताराचंद मीणा ने भारतीय नागरिकता दी।
पाकिस्तान से आए इन हिन्दुओं ने बताया कि के लोगों ने बताया कि वहां महिलाओं का घर से बाहर निकलना और उच्च शिक्षा हासिल करना मुश्किल था। वहां व्यापार मसले में किसी से जरा भी बात हो जाती थी तो वे उठाकर ले जाते थे, उसकी कहीं सुनवाई नहीं होती थी। ऐसे में वहां जिन्दगी जेल में रहने के समान थी।
इनमें से एक 52 वर्षीय मोहन ने बताया कि उनका परिवार मूलत: बाड़मेर का रहने वाला है, मगर आजादी के पहले पड़े अकाल के कारण वहां के निकट पड़ने वाले सिंध प्रांत में जाकर बस गया था। आजादी के बाद सिंध पाकिस्तान का हिस्सा हो गया था। मोहन ने कहा कि इस प्रकार उनकी पैदाइश तो पाकिस्तान में ही हुई। वह कहते हैं कि, वहां हिन्दुओं की अलग कॉलोनी में हम सब साथ रहते थे। महिलाएं और बेटिया घर से बाहर तक नहीं निकल पाती थीं। यहां तक कि उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए भी बेटियों को नहीं भेज पाते थे। कई अल्पसंख्यक आए दिन मारपीट और झगड़े का शिकार होते थे। यहां तक कि व्यापार करने के दौरान वहां के किसी व्यक्ति से कुछ हल्की बात भी हो जाती थी तो उस व्यापारी को ही उठाकर ले जाते थे। उसके बाद तो उस व्यापारी का जिंदा लौटना मुश्किल होता था। शिकायत करने प्रशासन के पास जाते थे तो कोई सुनवाई नहीं होती थी। वहां महंगाई चरम पर थी। सब्जी बनाने का तेल 600 रुपए लीटर व गेहूं का आटा 90 रुपए किलो तक बिकता था। वर्ष 2008 में वीजा पर भारत आए, इसके बाद वीजा बढ़ाते गए। उनका कहना है कि यहां हमें वह सब कुछ मिला जो वर्षों से मन की इच्छा थी। मेरे परिवार से पत्नी और दो बेटियों को भारतीय नागरिकता मिली है। दोनों बेटियां उच्च शिक्षा प्राप्त कर रही हैं। इनमें से एक को तो बेंगलुरु भेजा हुआ है। पाकिस्तान में होते तो यह बिल्कुल भी नहीं हो पाता। मोहन ने बताया कि आज भी उनके भाई पाकिस्तान में ही हैं, व्यापार कर रहे हैं, लेकिन बिल्कुल खुश नहीं हैं।
अब यह सभी मुख्य धारा का हिस्सा बन पाएंगे
राजस्थान सिंधी अकादमी के पूर्व अध्यक्ष हरीश राजानी ने बताया कि सिंधी समाज के ये 9 सदस्य पिछले 20 वर्षों से उदयपुर में रह रहे थे, लेकिन नागरिकता नहीं मिल पाने से विभिन्न सरकारी योजनाओं से वंचित थे। अब ये भी मुख्य धारा का हिस्सा बनकर भारत की सरजमीं पर जी सकेंगे। सरकार द्वारा दिए जाने वाले विभिन्न प्रकार के लाभ प्राप्त कर सकेंगे।