बून्दी: फ्लेट के लिए जमा 40 लाख से अधिक की राशि ब्याज सहित अदा करने का आदेश
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एनसीआई@बून्दी
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, बून्दी ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12 के तहत एक परिवाद में विपक्षीगण को आदेश की तारीख से दो माह की अवधि में परिवादी को परिवाद में अंकित अनुरूप बुक किए गए फ्लेट का शर्तो के अनुरूप आधिपत्य सम्हलाएं। अंतिम किश्त अदायगी के उपरांत से फ्लेट का कब्जा सम्भालने तक सम्पूर्ण राशि पर नौ प्रतिशत वार्षिक दर से ब्याज अदा करें। ऐसा नहीं कर सकने की स्थिति में परिवादी से उक्त फ्लेट के पेटे प्राप्त मूल राशि 40 लाख 13 हजार 567 रुपए एवं उक्त राशि पर प्रथमतः जमा कराई गई किश्त दिनांक 16.12.05 से जमा होने वाली किश्तवाद राशि के अनुरूप उक्त दिनांक से प्रत्येक किश्त को जोड़ते हुए सम्पूर्ण राशि की वसूली तक नौ प्रतिशत वार्षिक दर से ब्याज की राशि भी अदा करें। परिवादी द्वारा विपक्षीगण के प्रस्ताव एवं आश्वासन के अधीन सन् 2005 से 2013 तक नियत की गई किश्तों के रूप में जमा की गई इतनी बड़ी राशि के उपरांत भी बिना किसी उचित कारण के फ्लेट का कब्जा देने में विफल रहने तथा अन्यथा परिस्थितियों में जमा की गई राशि को अदा करने से भी इनकार करने के क्रम में कारित होने वाले मानसिक संताप के लिए राशि 1 लाख रुपए तथा परिवाद व्यय की मद में 25 हजार की राशि भी विपक्षीगण परिवादी को अदा करेंगे।
उक्त आदेश 25 जनवरी को आयोग अध्यक्ष रविन्द्र कुमार माहेश्वरी, सदस्य विजेन्द्र सिंह व संतोष भाकल द्वारा खुले आयोग में सुनाया गया।
इस प्रकरण में परिवादी महिपत सिंह हाड़ा निवासी बहादुर सिंह सर्कल, बून्दी ने विपक्षी सहारा इंडिया लि. व उसकी सहयोगी कम्पनियों से टाइप सी पेन्टहाउस की बुकिंग कराने तथा इसके लिए नियत राशि नियमित किश्तों से अदा करने के उपरांत अतिरिक्त रूप से मांगी गई राशि भी जमा करने तथा एग्रीमेंट की शर्तो के अनुरूप अतिरिक्त राशि सहित 40 लाख 13 हजार 567 रुपए की राशि वर्ष 2005 से 31.8.13 तक जमा की गई। इसके उपरात भी एग्रीमेंट शर्तो के अनुरूप बुकिंग किए गए फ्लेट का आधिपत्य नहीं दिए जाने, निरंतर तकाजा करने पर अधिवक्ता के माध्यम से पंजीकृत नोटिस के उपरांत भी विपक्षीगण द्वारा फ्लेट का कब्जा नहीं दिए जाने तथा परिवादी की जमा राशि ब्याज सहित लौटाने से इनकार करने के अनुरूप विपक्षीगण द्वारा सेवादोष कारित करना व अनुचित व्यापार व्यवहार कारित करना बताकर परिवाद स्वीकार करने की प्रार्थना की गई। विपक्षीगण की ओर से सहारा इंडिया लि. बून्दी के प्रबंधक द्वारा आयोग के समक्ष उपस्थित होकर जवाब में बताया गया कि सहारा परिवार की सभी सम्पत्तियां भारतीय प्रतिभूति और विनयम बोर्ड (सेबी) के नियंत्रण में हैं तथा सम्पूर्ण लेनेदेने पर माननीय उच्च न्यायालय द्वारा सेबी को दिए गए आदेश के अधीन परिवादी के साथ हुए एग्रीमेंट के सम्बन्ध में किसी भी प्रकार का निर्णय लेने में सक्षम नहीं होने तथा इसी कारण समय पर फ्लेट उपलब्ध नहीं करा पाना बताया। साथ ही आर्बिट्रेटर के समक्ष विवाद प्रस्तुत करने का प्रावधान रहते आयोग को परिवाद के क्षेत्राधिकार का नहीं रहना बताते हुए परिवाद खारिज करने की प्रार्थना की गई।
दोनों पक्षों की बहस सुनने तथा पत्रावली का अवलोकन करने पर आयोग ने पाया कि परिवादी उपभोक्ता से विपक्षीगण द्वारा इकरार की शर्तो के अनुरूप सम्पूर्ण राशि प्राप्त करने के बाद भी फ्लेट सम्भालने में विफल रहने पर विपक्षीगण द्वारा पृथक-पृथक एवं संयुक्त रूप से सेवादोष कारित करना तथा जमाशुदा राशि लौटाने से इंकार करने को अनुचित व्यापार व्यवहार कारित करना बताया। अतः परिवाद स्वीकार किए जाने योग्य बताया।