Crop diversification scheme : 90 हजार एकड़ में धान नहीं उगाएंगे किसान, मिलेगा अनुदान
1 min readएनसीआई@चंडीगढ़
हरियाणा राज्य में इस बार कम पानी वाली फसलें उगाने पर फोकस किया जाएगा। एक-एक एकड़ भूमि की मेपिंग करवाकर आकड़े तैयार किए जाएंगे, ताकि राज्य की शत-प्रतिशत जमीन के पंजीकरण लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके। इससे भविष्य में किसानों के लिए बनाई जाने वाली नीतियों और स्कीमों का उन्हें भरपूर लाभ मिलेगा। राज्य के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री जेपी दलाल ने यह घोषणा की है। उन्होंने कहा कि किसान भाई कृषि के लिए नई-नई तकनीकें अपना, फसलों का विविधिकरण व पानी की बचत कर कम लागत में अधिक मुनाफा कमा सकते हैं।
दलाल ने बताया कि मेरा पानी मेरी विरासत योजना (Mera pani meri virasat) में इस वर्ष दो लाख एकड़ भूमि पर फसल विविधिकरण का लक्ष्य रखा गया था, जो अब तक लगभग 90 हजार एकड़ तक पहुंच गया है। यानी इतने क्षेत्र में किसानों ने धान की खेती (Paddy farming) छोड़ दी है। इससे भविष्य के लिए पानी बचेगा।
डीएसआर विधि से होगी 32 फीसदी पानी की बचत
कृषि मंत्री दलाल ने बताया कि काफी किसानों ने इस साल धान की बिजाई डीएसआर (Direct Seeder Rice) विधि से की है। इससे 30 से 32 प्रतिशत पानी की बचत होती है। धरती की उपजाऊ शक्ति बढ़ाने और दालों को बढ़ावा देने के लिए दलहन की खेती पर फोकस किया जा रहा है। उन्होने बताया कि मूंग, उड़द व अरहर उगाने पर 4 हजार रुपए प्रति एकड़ अनुदान दिया जा रहा है।
ड्रिप इरीगेशन को बढ़ावा
कृषि मंत्री ने बताया कि पानी बचाने के लिए माइक्रो एवं ड्रिप इरीगेशन (Drip irrigation) को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके लिए किसानों को अनुदान भी दिया जा रहा है।
किसानों को सब्जियों, फलों, मछली पालन और दुग्ध उत्पादन की तरफ आकर्षित किया जा रहा है, जिससे लागत कम और कमाई ज्यादा हो।
विशेषज्ञों के मुताबिक माइक्रो इरिगेशन टेक्नोलॉजी के उपयोग से 48 फीसद तक पानी की बचत होगी। ऊर्जा की खपत में भी कमी आएगी। इस प्रणाली का ढांचा एक बार तैयार हो गया तो इसमें मजदूरी घट जाएगी। नई प्रणाली से ही पानी के साथ फर्टिलाइजर का घोल मिला देने से 20 फीसद तक की बचत होगी। हरियाणा में ड्रिप और स्प्रिंकलर की स्थापना के लिए किसानों को 15 प्रतिशत राशि और जीएसटी का भुगतान करना होगा, उसे 85 प्रतिशत सब्सिडी मिलेगी।