पैर दर्द को हल्के में न लें: जांच के बाद पैर के साथ दिल का भी करना पड़ा ऑपरेशन
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एनसीआई@जयपुर
अगर आपके पैर में दर्द रहता है तो अब इसे सामान्य बीमारी समझने की भूल न करें। यह दिल से जुड़ी बीमारी भी हो सकती है। राजस्थान के बूंदी का एक ऐसा ही मरीज सामने आया है।
66 वर्षीय यह बुजुर्ग पैर में काफी दर्द रहने से चल फिर नहीं पाता था। सवाई मानसिंह अस्पताल (एसएमएस) में इसकी जांच की तो पैरों में खून पहुंचाने वाली धमनी ब्लॉक मिली। यही नहीं, इसके आगे की जांच में पता चला कि उसके हार्ट की मेट आर्टरी भी ब्लॉक है।
बूंदी के प्रभु प्रजापत पैर के दर्द से बुरी तरह परेशान होकर राजस्थान के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एसएमएस में इलाज करवाने पहुंचे थे। उनकी जांच के बाद जो स्थिति सामने आई उसके चलते डॉक्टर के सामने दो विकल्प थे। पहला पैर का ऑपरेशन करना तथा दूसरा पुरानी तकनीक से दिल का ऑपरेशन करना। मगर यहां समस्या यह थी कि अगर पैर का ऑपरेशन किया जाता तो बुजुर्ग की इस दौरान ही हार्ट फेल होने से मौत हो जाती। वहीं, पुरानी तकनीक से दिल का ऑपरेशन करने पर दोनों पैर काटने का खतरा बढ़ जाता।
ऐसे में डॉक्टर्स ने एक नया तरीका अपनाया गया। उन्होंने प्रभु प्रजापत के पैर और दिल दाेनों के बाईपास ऑपरेशन एक साथ किए। एसएमएस में सिटी सर्जरी डिपार्टमेंट के सीनियर प्रोफेसर डॉ. अनिल शर्मा का दावा है कि यह पहला मामला है, जब दोनों सर्जरी एक साथ एक ही ऑपरेशन के जरिए की गई। इस पूरे ऑपरेशन को करने में 7 घंटे का समय लगा। इसमें सबसे पहले मरीज के तीन जगहों पर छोटे-छोटे चीरे लगाए गए।
10 मीटर भी नहीं चल पाता था
डॉ. शर्मा ने बताया कि करीब दस दिन पहले बुजुर्ग पैरों के दर्द की समस्या को लेकर हॉस्पिटल पहुंचा था। उसके पैरों में बहुत तेज दर्द रहता था। दस मीटर भी नहीं चल पाता था। मरीज की जब जांच की तो पता चला उसके दोनों पैरों को ब्लड सप्लाई करने वाली फेमोरल आर्टरी (धमनी) ब्लॉक है। इसके अलावा जब उसकी ईसीजी करवाई तो उसे देखकर कुछ डाउट लगा। उसके बाद जब उसके हार्ट की जांच की तो पता चला हार्ट की मैन दो आर्टरी में 85 फीसदी ब्लॉकेज है। इस पर बाईपास सर्जरी के जरिए शरीर में ग्राफ्ट (कृत्रिम ट्यूब) डाली गई, जो पेट के रास्ते होते हुए दोनों जांघों से होकर पैरों में पहुंचाई गई।
पहले हार्ट ठीक किया, फिर पैर
डॉक्टर शर्मा ने बताया कि इस मुश्किल स्थिति को देखते हुए हमारी टीम ने दोनों ऑपरेशन एक साथ करने का निर्णय किया। हार्ट की दो आर्टरी का बाईपास करने के लिए पहले एक चीरा (बिना छाती की हड्डी काटे) सीने के पास लगाया। यहां से बाईपास की गई।
इन दो आर्टरी का बाईपास करने के बाद इसी चीरे वाली जगह से ग्राफ्ट (कृत्रिम ट्यूब) डाली गई, जो पेट के रास्ते होते हुए दोनों जांघों से होकर पैरों में पहुंचाई गई। करीब 60 सेमी लम्बी इस ट्यूब के लगाने से मरीज के पैरों में ब्लड का सर्कुलेशन वापस शुरू हो गया और उसका दर्द खत्म हो गया।
डॉ. शर्मा ने बताया कि इस पूरी प्रक्रिया में मरीज को 8 दिन भर्ती रहना पड़ा। अब वह पूरी तरह स्वस्थ है। 23 अक्टूबर को उसे हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी गई है। ऑपरेशन संजीवनी योजना के तहत हुआ, जबकि निजी अस्पताल में इस पर 4 लाख रुपए खर्च हो जाते।
कम आते हैं ऐसे केस
डॉ. अनिल शर्मा ने बताया कि जो धमनियां पैरों में ब्लड सर्कुलेशन करती हैं, उनके ब्लॉक होने पर हार्ट प्रॉब्लम का खतरा बढ़ना जरूरी नहीं है। पैरों की धमनियों के ब्लॉक के केस आते रहते हैं। इनमें कुछ केस ही ऐसे होते हैं, जिनमें पैरों के साथ हार्ट की आर्टरी में भी ब्लॉकेज मिलते हैं, लेकिन सतर्क रहना जरूरी है।
ये लक्षण हों तो डॉक्टर को जरूर दिखाएं
डॉ. शर्मा ने बताया कि पैरों की आर्टरी में ब्लॉकेज होने पर खून का सर्कुलेशन प्रभावित होता है। इससे पैरों में लम्बे समय तक दर्द रहता है, चलने-फिरने में तकलीफ होती है, पैरों में सूजन आ जाती है या वह ब्राउन-नीला पड़ जाते हैं। कई मामलों में मरीज के पैर सुन्न भी पड जाते हैं। इस कारण वह चल भी नहीं पाता है।