तिल चौथ पर चौथ माता का मेला निरस्त करने से श्रद्धालुओं में रोष
1 min readएनसीआई@बून्दी
कोरोना के प्रकोप का हवाला देकर तिल चौथ के अवसर पर रविवार 31 जनवरी को भरने जा रहे चौथ माता के मेले को निरस्त करने से श्रद्धालुओं में भारी रोष देखने को मिल रहा है।
इसी क्रम में समाजसेवी माधव प्रसाद विजय ने एक वक्तव्य जारी कर कहा है कि, इसे बून्दी का दुर्भाग्य कहें या लोगों की आस्था के साथ खिलवाड़ कि जहां एक ओर आमजन ने शहरों की सरकार चुनने के लिए भारी उत्साह से मतदान किया। इस दौरान लोगों ने यथासम्भव सरकार द्वारा जारी कोरोना गाइड लाइन का पालन भी किया। किसी ने भी कोरोना का हवाला देकर इस प्रक्रिया पर रोक लगाने की मांग नहीं की। दूसरी ओर रविवार (31 जनवरी) को जिले वासियों की आस्था के प्रमुख धार्मिक स्थल शहर की बाणगंगा की पहाड़ी पर स्थित चौथ माता मंदिर पर तिल चौथ के उपलक्ष्य में भरने वाले मेले को कोरोना का हवाला देकर निरस्त कर दिया। तिल चौथ पर यहां हर साल इस मेले को भव्य रूप से आयोजित किया जाता है। इस मेले में दूरदराज के गांवों तक से भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। पूरे साल इस लोक मेले का बेसब्री से इंतजार करते हैं। यहां माता के दर्शन करने श्रद्धालु कई किलोमीटर पैदल चलकर भी पहुंचते हैं। इस प्रकार एक ओर जहां जिले भर में सभी गतिविधियां शुरू हो चुकी हैं ऐसे में कोरोना के नाम पर इस प्रसिद्ध मेले को निरस्त करना दुर्भाग्यपूर्ण है। लोग इस बात की चर्चा कर रहे हैं।
विजयवर्गीय समाज से जुड़े, समाजसेवी माधव प्रसाद विजयवर्गीय का कहना है कि इस मेले में बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार भी मिलता है। लेकिन इस बार मेले को निरस्त कर इन सभी के साथ खिलवाड़ किया गया है। उनका कहना है कि जब श्रद्धालु बरवाड़ा की चौथ के दर्शन करने जा रहे हैं। मार्ग में जगह-जगह माता के भक्तों द्वारा भंडारे भी लगाए जा रहे हैं। ऐसे में बून्दी में मेला निरस्त करने का क्या औचित्य है? इधर रविवार को ही मतगणना भी होगी। साथ ही इस दौरान शहर में पल्स पोलियो अभियान भी चलाया जाएगा। इनमें से किसी को कोरोना का हवाला देकर रोका नहीं जा रहा है। माधव प्रसाद विजयवर्गीय ने मांग की है कि प्रशासन इस पर तुरंत निर्णय लेकर अपनी गलती को सुधारे। तिल चौथ का मेला निरस्त करने के इस निर्णय पर अन्य कई अन्य प्रमुख लोगों का विरोध भी सामने आ रहा है।
यहां गौरतलब है कि हालांकि इस मेले को निरस्त करने की सूचना मंदिर समिति के प्रमुख की ओर से ही जारी की गई है। मगर यह माना जा रहा है कि उन्होंने ऐसा जिला प्रशासन के दबाव में किया है।