आर्थिक समृद्धि के द्वार खोलेगा ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस वे: नितिन गडकरी
1 min read-देश के सबसे लम्बे निर्माणाधीन एक्सप्रेस वे की समीक्षा करने आए सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री
-एशिया का ऐसा पहला राजमार्ग जहां होंगे वन्यजीवों की अप्रतिबंधित आवाजाही के प्रबंध
एनसीआई@बूंदी
केन्द्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने गुरुवार को लाखेरी के बिशनपुरा में पहुंच कर निर्माणाधीन दिल्ली-मुम्बई एक्सप्रेस-वे (डीएमई) की प्रगति की समीक्षा की। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात राज्यों से गुजरने वाला 98,000 करोड़ रुपए की लागत से विकसित किया जा रहा 1,380 किलोमीटर लम्बा यह दिल्ली-मुम्बई एक्सप्रेस-वे भारत का सबसे लम्बा एक्सप्रेस-वे होगा। यह अपनी तरह का विशिष्ट राजमार्ग होगा, जिसमें पारिस्थितिकी और पर्यावरण संरक्षण के साथ ही विकास की संकल्पना की गई है। ग्रामीण पिछड़े आदिवासी बहुल इलाकों से गुजरता हुआ यह राजमार्ग विकास के नए युग की शुरुआत करेगा। राजस्थान सरकार के ऊर्जा, जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी, भू-जल तथा कला साहित्य, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग मंत्री डॉ. बीडी कल्ला भी इस अवसर पर मौजूद थे।
केन्द्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री ने यहां निर्माणाधीन कार्य का मौके पर पहुंचकर जायजा लिया। उन्होंने बताया कि यह राष्ट्रीय राजधानी, दिल्ली और वित्तीय राजधानी, मुम्बई के बीच सम्पर्क (कनेक्टिविटी) को बढ़ाएगा और दूरियों को पाटेगा। यह एक्सप्रेस-वे एशिया में पहला और दुनिया में दूसरा है, जिसमें वन्यजीवों की अप्रतिबंधित आवाजाही की सुविधा के लिए पशु हवाई पुल (ओवरपास) की सुविधा है। डीएमई में 3 वन्य जीव और 5 हवाई पुल (ओवरपास) होंगे, जिनकी संयुक्त लम्बाई 7 किमी होगी और ये वन्यजीवों के निर्बाध आवागमन के लिए समर्पित होंगे। यह एक्सप्रेस-वे क्षेत्र के शहरी केन्द्रों को दिल्ली-फरीदाबाद-सोहना खंड के गलियारे (कॉरिडोर) के साथ-साथ जेवर एयरपोर्ट और मुम्बई में जवाहरलाल नेहरू पोर्ट को एक छोटे सम्पर्क मार्ग (स्पर) के जरिए जोड़ेगा।
इसके अलावा, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के छह राज्यों से गुजरने वाला यह एक्सप्रेस-वे जयपुर, किशनगढ़, अजमेर, कोटा, चित्तौड़गढ़, उदयपुर, भोपाल, उज्जैन, इंदौर, अहमदाबाद, वडोदरा, सूरत जैसे आर्थिक केन्द्रों से कनेक्टिविटी में सुधार लाने के साथ ही लाखों लोगों के लिए आर्थिक समृद्धि लेकर आएगा।
प्रधानमंत्री के ’नए भारत (न्यू इंडिया)’ के सपने के तहत परिकल्पित इस दिल्ली-मुम्बई एक्सप्रेस-वे की शुरुआत 2018 में 9 मार्च 2019 को आधारशिला रखने के साथ हुई थी। 1,380 किलोमीटर में से 1,200 किलोमीटर से अधिक के लिए पहले ही ठेके दिए जा चुके हैं और कार्य भी किए जा रहे हैं। उन्होंने इस एक्सप्रेस वे के संदर्भ में फॉरेस्ट एवं एनवायरनमेंट सम्बंधी क्लीयरेंस में राजस्थान सरकार की भूमिका की सराहना करते हुए मुख्यमंत्री को साधुवाद दिया।
राजस्थान में ग्रीन एक्सप्रेस वे की तस्वीर
16,600 करोड़ से अधिक की लागत से बनने वाले इस पूरे एक्सप्रेस-वे का 374 किलोमीटर का हिस्सा राजस्थान से होकर गुजरेगा और 374 किलोमीटर के ठेके पहले ही दिए जा चुके हैं। राज्य की बढ़ती आर्थिक आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए यह कॉरिडोर अलवर, भरतपुर, दौसा, सवाईमाधोपुर, टोंक, बूंदी और कोटा जिलों से होकर गुजरेगा।इसके अलावा, दिल्ली-जयपुर एक्सप्रेस-वे को पूरा करने और दिल्ली व जयपुर के बीच आवागमन समय को 4 घंटे से घटाकर 2 घंटे से कम करने के लिए बुंदीकुई से जयपुर के लिए एक अतिरिक्त सम्पर्क मार्ग (स्पर) की योजना है।
राजस्थान वन्य जीवन, वनस्पतियों और जीवों से समृद्ध राज्य है। एक्सप्रेस-वे कुछ विश्व प्रसिद्ध अभयारण्यों जैसे रणथंभौर टाइगर रिजर्व और चंबल अभयारण्य से होकर गुजरता है। पारिस्थितिकी तंत्र पर न्यूनतम प्रभाव पड़े इसके लिए कई कदम उठाए गए हैं। एक्सप्रेस-वे एशिया में पहला और दुनिया में दूसरा है, जिसमें वन्यजीवों की अप्रतिबंधित आवाजाही की सुविधा के लिए पशु हवाई पुल (ओवरपास) की सुविधा है। डीएमई में 3 वन्यजीव और 5 हवाई पुल (ओवरपास) होंगे, जिनकी संयुक्त लम्बाई 7 किमी होगी,जो वन्यजीवों के निर्बाध आवागमन के लिए समर्पित होंगे। इस एक्सप्रेस-वे में भारत की पहली प्रतिष्ठित 8 लेन 4 किमी सुरंग भी शामिल होगी, जो इस क्षेत्र में लुप्तप्राय जीवों को परेशान किए बिना मुकुंदरा अभयारण्य से होकर गुजरेगी। इसके अलावा, राज्य की नदियों पर बाणगंगा नदी, बनास नदी, मेज नदी और चंबल नदी जैसे कई पुल बनाए जा रहे हैं।
चाकन बांध के पार एक प्रतिष्ठित 1100 मीटर लम्बे ऊंचाई के खंड (एलिवेटेड स्ट्रेच) की योजना बनाई गई है, जो एक इंजीनियरिंग का बेहतरीन उदाहरण होगा। राजस्थान राज्य में सभी पैकेज दिल्ली-जयपुर (दौसा)-लालसोत खंड के साथ 214 किलोमीटर के मार्च 2022 तक पूरा करने और यातायात के लिए खोलने का लक्ष्य है। लालसोत से कोटा तक के शेष खंड को लक्षित किया गया है, जिसे मार्च 2023 तक पूरा कर लिया जाएगा।
ऐसे खास है यह एक्सप्रेस-वे
नए एक्सप्रेस-वे से दिल्ली और मुम्बई के बीच आवागमन के समय को लगभग 24 घंटे से घटाकर 12 घंटे करने और दूरी में 130 किलोमीटर की कमी होने की उम्मीद है। इससे 32 करोड़ लीटर से अधिक के वार्षिक ईंधन की बचत होगी और कार्बन डाई ऑक्साइड उत्सर्जन में 85 करोड़ किलोग्राम की कमी आएगी, जो 4 करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है।
पर्यावरण संरक्षण के प्रति राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) की प्रतिबद्धता के तहत राजमार्ग के किनारे 40 लाख से अधिक वृक्ष और झाड़ियाँ लगाने की योजना है।
दिल्ली-मुम्बई एक्सप्रेस-वे के लिए पर्यावरण और वन्यजीव प्रभाव को कम से कम प्रभावित करना इस परियोजना का एक आधार रहा है। एक्सप्रेस-वे में दो प्रतिष्ठित 8 लेन सुरंगें भी शामिल होंगी, जो देश के इंजीनियरिंग कौशल का एक उत्कृष्ट प्रदर्शन होगा। इसमें से पहली सुरंग मुकुंदरा अभयारण्य के माध्यम से 4 किलोमीटर के क्षेत्र में लुप्तप्राय जीवों को संकट में डाले बिना और दूसरी माथेरान पर्यावरण संवेदनशील क्षेत्र (इको सेंसिटिव जोन) में 4 किमी 8 लेन-सुरंग से गुजरेगी। इस प्रकार यह अनूठी परियोजना बेहतरीन अभियान्त्रिकी (इंजीनियरिंग) का ही उदाहरण है।
दिल्ली-मुम्बई एक्सप्रेस-वे का एक अन्य अनूठा पहलू गलियारे के साथ उपयोगकर्ताओं की सुविधा और सुरक्षा में सुधार के लिए राजमार्ग के साथ बनाई गई 94 सुविधाओं (वे साइड अमेनिटीज -डब्ल्यूएसए) की स्थापना है। रास्ते के किनारे की सुविधाओं में पेट्रोल पम्प, मोटल, विश्राम क्षेत्र, रेस्तरां और दुकानें होंगी। इन वे साइड सुविधाओं में चिकित्सा आपात स्थिति के मामले में कनेक्टिविटी बढ़ाने और लोगों को निकालने के लिए हेलीपैड भी होंगे।
जिला कलक्टर ने किया स्वागत
जिला कलक्टर आशीष गुप्ता ने हेलीपेड पर केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी का स्वागत किया एवं जिले के सम्बंध में चर्चा की। एनएचएआई के प्रोजेक्ट डायरेक्टर, सवाई माधोपुर मनोज शर्मा ने परियोजना के विषय में जानकारी दी। कार्यक्रम में पीपल्दा विधायक रामनारायण मीणा, सचिव एनएचएआई गिरधर अरमानी, प्रमुख शासन सचिव, सार्वजनिक निर्माण विभाग चिन्हरी मीणा, उपखंड अधिकारी लाखेरी युगांतर शर्मा एवं एनएचएआई के अधिकारी मौजूद रहे।