गुर्जर आरक्षण आंदोलनकारियों के खिलाफ सख्ती के मूड में राजस्थान सरकार, दिए संकेत
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एनसीआई@जयपुर
गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति की ओर से 1 नवम्बर को प्रस्तावित आंदोलन को लेकर राज्य सरकार सख्ती के मूड में आ गई है। गुर्जर आंदोलनकारियों के खिलाफ कार्रवाई के मूड में है। राज्य सरकार ने आंदोलन को हाईकोर्ट के फैसले और कोरोना गाइड लाइन के विपरीत बताया है। राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि आंदोलनकारियों के खिलाफ रासुका लगाने सहित अन्य प्रकार की सख्ती की जा सकती है।
राज्य के गृह विभाग की ओर से जारी प्रेस नोट में आंदोलनकारियों के खिलाफ सख्ती के संकेत दिए गए हैं। प्रदेश में कोरोना संक्रमण काल में आंदोलन को जहां उचित नहीं माना, वहीं, हाईकोर्ट के निर्णय की पालना का हवाला दिया गया है। गौरतलब है कि गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति ने 1 नवम्बर से विभिन्न मांगों को लेकर पीलूपुरा में आंदोलन का अल्टीमेटम दे रखा है।
गृह विभाग का कहना है कि गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति ने 17 अक्टूबर को अड्डा गांव में की महापंचायत के लिए भरतपुर कलेक्टर से अंडरटेकिंग नहीं ली है। इसके चलते संघर्ष समिति पदाधिकारियों सहित अन्य लोगों पर हाईकोर्ट के निर्णय व कोरोना गाइड लाइन का उल्लंघन करने की एफआईआर दर्ज की गई। अब भी यदि इसी प्रकार बिना कलक्टर की अनुमति के आंदोलन करते हैं तो आंदोलनकारियों के खिलाफ इस प्रकार की कार्रवाई की जा सकती है। पूर्व में आंदोलन कर कोर्ट आदेश की अवमानना कर आंदोलनकारियों ने राज्य सरकार को 30 करोड़ 29 लाख 60 हजार 322 रुपए की हानि पहुंचाई। इस सम्बन्ध में अवमानना याचिका 19 / 2008 (राज्य सरकार बनाम प्रहलाद गुंजल एवं अन्य) कोर्ट में दायर की गई। तत्कालीन अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह ने शपथ पत्र पेश कर इस नुकसान के बारे में हाईकोर्ट को बताया था।
कोर्ट के आदेश की अवहेलना होने पर अवमानना याचिका 19/2008 (राज्य सरकार बनाम प्रहलाद गुंजल व अन्य ) न्यायालय में दायर की गई। पुनः कोर्ट के आदेशों की अवहेलना होने पर राज्य सरकार द्वारा एक अन्य अवमानना याचिका 205/2008 राज्य सरकार बनाम कर्नल किरोडी सिंह बैसला व अन्य के विरूद्ध दायर की। इसी अवमानना याचिका सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान 595/ 2012 बनाम डीसी सावंत और अन्य के विरूद्ध लिया गया। यह मामला अभी भी हाईकोर्ट में लम्बित है तथा इसकी अगली सुनवाई 11 नवम्बर, 2020 को है।
अतः ऐसे में जिला कलक्टर को संघर्ष समिति द्वारा अंडरटेकिंग देनी होगी। अभी तक गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के द्वारा आयोजित होने वाली पंचायत के लिए भरतपुर कलक्टर को किसी भी प्रकार की अंडरटेकिंग नही दी गई है।दूसरी ओर राजस्थान में कोरोना संक्रमण के बड़ी संख्या में मामले सामने आ रहे हैं। ऐसे में कोई सभा या आंदोलन में भीड़ एकत्रित होने से संकमण बढ़ने और लोगों का जीवन खतरे में पड़ने की पूरी आशंका है। ऐसे में संघर्ष समिति कोई आंदोलन करती है तो राज्य सरकार राजस्थान महामारी अधिनियम 2020 के तहत कार्रवाई कर सकती है। कोरोना संकट के इस दौर में नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट तथा राजस्थान महामारी अधिनियम, 2020 के कारण 100 से ज्यादा लोगों की कोई सभा या आंदोलन नहीं किया जा सकता। इस कारण सम्बन्धित जिला कलक्टर को अंडरटेकिंग देने के बाद ही कोई सभा हो सकती है। पूर्व में भी आंदोलन के सम्बन्ध में हाईकोर्ट की एकल पीठ ने अंतरिम आदेश में यह निर्देश दिए-
1.याचिका के पक्षकार कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला, डॉ. रूपसिंह, गुर्जर समुदाय के अन्य नेताओं को 13 सितम्बर, 2007 को धौलपुर अथवा अन्य स्थानों पर एवं इसके बाद अन्य किसी भी स्थान पर महापंचायत एवं सार्वजनिक सभा के लिए सम्बन्धित जिला कलक्टर को आवेदन देना होगा। गुर्जर नेताओं को अंडरटेकिंग भी देनी होगी कि वे रास्ता रोक या बंद या इसी प्रकृति के अन्य आयोजनों का आह्वान नहीं करेंगे।
2. सम्बन्धित जिला कलक्टर इन सार्वजनिक सभाओं, महापंचायतों की अनुमति देने से पूर्व यह देखेंगे कि इनसे अन्य नागरिकों या वर्गों के मौलिक,विधिक अधिकारों का उल्लघन तो नहीं हुआ है।
3. राज्य सरकार आम नागरिकों के मौलिक अधिकारों को संरक्षित रखने सार्वजनिक व निजी संपत्ति के नुकसान को रोकने व कानून-व्यवस्था बनाए रखने के सभी आवश्यक प्रबंध करेगी।
4. राज्य सरकार गुर्जर समुदाय के दबाव में आकर गुर्जर जाति को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने के लिए केन्द्र सरकार को कोई संस्तुति पत्र नही देगी।
– इस सम्बन्ध में न्यायालय के आदेश की अवहेलना होने पर कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला व अन्य के खिलाफ अवमानना याचिका का यह मामला अभी भी न्यायालय में लम्बित है। इस मामले की अगली सुनवाई 11 नवम्बर, 2020 है।
– अतः ऐसे में जिला कलक्टर को संघर्ष समिति द्वारा अंडरटेकिंग देनी होगी।
– अभी तक गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के द्वारा आयोजित होने वाली पंचायत के लिए भरतपुर कलक्टर को किसी भी प्रकार की अंडरटेकिंग नही दी गई है।
– दूसरी ओर राजस्थान में कोरोना संक्रमण के बड़ी संख्या में मामले सामने आ रहे हैं।
– ऐसे में कोई सभा या आंदोलन में भीड़ एकत्रित होने से संकमण बढ़ने और लोगों का जीवन खतरे में पड़ने की पूरी आशंका है।
– ऐसे में संघर्ष समिति कोई आंदोलन करती है तो राज्य सरकार राजस्थान महामारी अधिनियम 2020 के तहत कार्रवाई कर सकती है।