राजस्थान: कीटनाशक को बीजोपचार की दवा बताया, फसल बर्बाद, किसानों को 4 साल बाद मिलेगा चार करोड़ रुपए हर्जाना
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93 किसानों ने फसल के बर्बाद होने का किया था दावा, करीब पचास किसानों के वाद पर हुआ फैसला, अधिकांश को दस लाख रुपए से अधिक का मुआवजा देने के आदेश
एनसीआई@बीकानेर
खेत में अच्छी व स्वास्थ्य पैदावार के लिए जिस दवा का उपयोग किया, उसी से उनकी लाखों रुपए की फसल बर्बाद हो गई। चार साल पुराने इस मामले में बीकानेर के जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने करीब पचास किसानों को चार करोड़ रुपए का मुआवजा देने का आदेश दिया है। यह मुआवजा उस कम्पनी को देना होगा, जिसने उत्पात की मार्केटिंग की थी।
क्या है मामला
किसानों के अधिवक्ता भागीरथ मान ने बताया कि करीब चार साल पहले श्रीडूंगरगढ़ और नोखा के बादनूं, रीड़ी व लिखमीदेसर सहित करीब आधा दर्जन गांवों के किसानों ने मूंगफली की फसल के लिए ग्राम सेवा सहकारी समिति के माध्यम से दवा खरीदी। इस दवा से मूंगफली के बीज का बीजोपचार कर दिया। इससे फसल की पैदावार सुधरने के बजाय खराब हो गई। करीब डेढ़ सौ किसान परिवारों की फसल बर्बाद होने के आरोप लगाए गए। इनमें से 93 किसान अदालत पहुंचे। राजनीतिक स्तर पर इस मामले को निपटाने का प्रयास किया गया, लेकिन मामला हल नहीं हो पाया।
क्या गड़बड़ थी दवा में
अधिवक्ता मान का कहना है कि केन्द्र सरकार की अधिकृत ऑथोरिटी ने जिस दवा को टिक्का रोग के उपयोग के लिए दिया था, उसे मार्केटिंग कम्पनी इफको ने बीज उपचार के लिए काम में लेने का संदेश देते हुए बेच दिया। ऐसे में गलत दवा बीज उपचार में काम लेने से फसल खराब हो गई।
किसने की जांच?
किसानों ने इस मामले में तत्कालीन वित्त राज्य मंत्री अर्जुनराम मेघवाल से सहयोग मांगा था। इसके बाद केन्द्र सरकार के कृषि मंत्रालय एवं रसायन मंत्रालय ने भारत सरकार के उपक्रम वनस्पति संरक्षण, संगरोध संग्रह निदेशालय फरीदाबाद (हरियाणा) के दो वैज्ञानिकों ने इस मामले की जांच की। इनकी रिपोर्ट में माना गया था कि यह दवा बीज उपचार के लिए नहीं थी, बल्कि टिक्का रोग के लिए थी। कम्पनी के प्रतिनिधियों ने किसानों को मिसलीड किया। इसी कारण फसल नष्ट हो गई। इसके बाद तत्कालीन वित्त राज्य मंत्री ने 18 करोड़ रुपए के मुआवजे की बात कही थी, लेकिन तब किसी को कोई मुआवजा नहीं मिला।
किसके खिलाफ मामला, किसे दोषी माना?
यामोटो नामक इस दवा का निर्माण एग्रोकेयर कम्पनी ने किया था और मार्केटिंग इफको के पास थी। ग्राम सेवा सहकारी समिति के माध्यम से यह किसानों को दी गई थी। किसानों ने इन तीनों के खिलाफ उपभोक्ता अदालत में वाद दायर किया। जहां से निर्णय में इफको को दवा की गलत मार्केटिंग का दोषी माना गया।
जितनी जमीन, उतना मुआवजा
दरअसल, उपभोक्ता मंच ने किसानों को उनकी जमीन और अपेक्षित फसल को ध्यान में रखते हुए मुआवजा देने के आदेश दिए हैं। अधिकांश किसानों को बारह लाख रुपए से अधिक राशि के मुआवजे के आदेश हुए हैं तो किसी को कुछ कम। अब तक करीब पचास मामलों का फैसला हुआ है, जबकि यह संख्या बढ़ सकती है।
इन्होंने दिया फैसला
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग के अध्यक्ष ओमप्रकाश सींवर, सदस्य मधुलिका आचार्य व पुखराज जोशी ने इस आशय के आदेश दिए हैं।