2 करोड़ हस्ताक्षर पर बीजेपी का पलटवार, किस किसान से और कहां करवाए हस्ताक्षर ?
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एनसीआई@नई दिल्ली
राहुल गांधी ने तीनों विवादास्पद कृषि बिलों के विरोध में धरना दे रहे किसानों के समर्थन में 2 करोड़ लोगों के हस्ताक्षर करवाने का दावा कर आज गुरुवार को वे दस्तावेज राष्ट्रपति को सौंपे। इस पर बीजेपी उन पर तगड़ी हमलावर हो गई है। हर तरफ से सवाल उठ रहे हैं कि कांग्रेस ने देश में कहीं भी इस तरह के हस्ताक्षर करवाने का अभियान नहीं चलाया, न कहीं मीडिया में खबर आई न कहीं इस सम्बन्ध में प्रचार-प्रसार दिखा, फिर 2 करोड़ हस्ताक्षर कहां से आ गए?
कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने तंज कसते हुए कहा कि राहुल गांधी को कांग्रेस भी गम्भीरता से नहीं लेती है, देश का तो सवाल ही नहीं उठता। आज वे राष्ट्रपति के समक्ष विरोध व्यक्त करने गए, मगर कांग्रेस से कोई भी नेता किसानों से हस्ताक्षर करवाने नहीं आया और न किसानों ने हस्ताक्षर किए। अगर राहुल गांधी इतने चिंतित होते, तो किसानों के लिए कुछ कर सकते थे, जब उनकी सरकार सत्ता में थी। कांग्रेस का चरित्र हमेशा से किसान विरोधी रहा है।
वहीं, वरिष्ठ भाजपा नेता शाहनवाज हुसैन ने कहा कि मैंने एक बार भी नहीं सुना कि कांग्रेस के कार्यकर्ता किसानों से मिले और दो करोड़ किसानों से मिल लिए, हस्ताक्षर ले आए? कांग्रेस का पिछले दिनों दो लाख लोगों से भी सम्पर्क नहीं हुआ है, फिर भी दो करोड़ का आंकड़ा दे दिया।
ये मिले राष्ट्रपति से
गौरतलब है कि आज कांग्रेस नेता राहुल गांधी के नेतृत्व में गुलाम नबी आजाद और अधीर रंजन चौधरी ने कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद से मुलाकात की। उन्हें दो करोड़ हस्ताक्षरों का ज्ञापन सौंपा। राहुल गांधी ने सरकार से संसद का संयुक्त सत्र बुलाकर नए कानूनों को वापस लेने की मांग भी की। वहीं इससे पूर्व सुबह कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला और आनंद शर्मा सहित 64 कांग्रेसी नेताओं को दिल्ली पुलिस ने हिरासत में ले लिया। यह सब रैली के रूप में राष्ट्रपति के पास जाने की मांग पर अड़े हुए थे। इन सभी को कुछ घंटे तक मंदिर मार्ग थाने में रखकर बाद में छोड़ दिया गया। केवल 3 कांग्रेसियों को राष्ट्रपति के पास जाने की इजाजत दी गई। पुलिस ने धारा 144 लागू होने के मद्देनजर यह कार्रवाई की।
उधर, केन्द्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि राहुल जी राजनीतिक रोटियां सेंकना चाह रहे हैं। उन्होंने स्वयं अपने घोषणा पत्र में कहा था कि अगर हम सत्ता में आए तो ये 3 बिल ले आएंगे और किसान को आज़ादी दिलाने के लिए एपीएमसी एक्ट से मुक्त करेंगे। वे किसान के कंधे पर बंदूक रखकर अपना निशाना साधना चाह रहे हैं।
29 वें दिन भी जारी रहा किसानों का धरना
किसान संगठन केनद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले 29 दिन से दिल्ली सीमा पर धरने पर बैठे हैं। इनमें ज्यादातर पंजाब के किसान हैं। पिछले महीने 26 नवम्बर से ही उनका प्रदर्शन जारी है। अपनी जिद पर अड़े किसान संगठन कृषि कानूनों की वापसी से कम पर मानने को तैयार नहीं हैं। वे सरकार के साथ बातचीत के लिए को तैयार नहीं हैं। उनके अड़ियल रुख का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि बुधवार को भी किसान संगठनों ने सरकार के प्रस्ताव पर कोई जवाब नहीं दिया। किसान संगठन कृषि कानूनों को रद्द करने और एमएसपी की गारंटी देने की मांग से अलग किसी और बात पर राजी होने को तैयार नहीं हैं। जबकि केन्द्र सरकार किसानों के द्वारा जिन मुद्दों पर आपत्ति जताई गई है, उनका समाधान करने को तैयार है, मगर बिल वापस लेने को नहीं। इस मुद्दे को लेकर कई दौर की किसान संगठनों के प्रतिनिधियों से हुई घंटों लम्बी वार्ता के बावजूद भी बात नहीं बनी। पूर्व में जो किसान नेता उनकी आपत्तियों के संशोधनों की ही मांग कर रहे थे वह भी अब बिलों को वापस लेने पर अड़े हुए हैं।