कोटा: सरकारी अस्पताल के आईसीयू में भर्ती महिला मरीज की आंखों को चूहों ने कुतरा
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एनसीआई@कोटा
सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में अव्यवस्था का गम्भीर मामला सामने आया है। अस्पताल के आईसीयू में भर्ती एक महिला मरीज की आंखों को चूहों ने कुतर दिया। इसके बाद उससे खून निकलने लगा। यह महिला पूरी तरह लकवाग्रस्त है, इससे वह कुछ बोल तक नहीं पाती है। बड़ी बात यह है कि कोटा वह शहर है जो देशभर में कोचिंग सिटी के रूप में विख्यात है और स्टूडेंट्स को डॉक्टर-इंजीनियर बनाने की फेक्ट्री माना जाता है।
इस सरकारी मेडिकल कॉलेज के स्ट्रोक यूनिट वार्ड में आईसीयू में भर्ती महिला मरीज की पलकों को चूहे ने कुतर दिया। जब यह मामला सामने आया तो अस्पताल प्रशासन में हड़कम्प मच गया। अब आरोप है कि अस्पताल प्रबंधन मामले को दबाने की कोशिश में जुटा हुआ है। इस मामले पर अस्पताल प्रशासन का कहना है हमने वहां पेस्टिसाइड कंट्रोल करवाया हुआ है फिर भी चूहे ने महिला की आंख को काटा है तो इसकी जांच होगी।
दूसरी ओर महिला मरीज के परिजनों का दावा है कि आंख पर चूहे के काटने से महिला की आंख लहूलुहान हो गई है। 28 साल की मरीज रूपवती पिछले 46 दिन से एमबीएस अस्पताल के न्यूरो स्ट्रोक यूनिट में भर्ती है और उसका पूरा शरीर लकवाग्रस्त है। वह अपने शरीर का कोई भी हिस्सा ना तो हिला पाती हैं और ना ही कुछ बोल पाती हैं।
महिला के पति देवेन्द्र सिंह भाटी का कहना है कि सोमवार देर रात 3 बजे वह पत्नी के पास ही आईसीयू में थे। उसकी दाईं आंख की पलकों को चूहों ने कुतर दिया। इससे पत्नी के गर्दन में थोड़ी हलचल हुई तो उनकी नींद टूटी। उन्होंने देखा तो पत्नी की आंखों से खून टपक रहा था। उन्होंने तुरंत इसकी सूचना डॉक्टरों को दी।
कोटा के सबसे बड़े अस्पताल में रात को घूमते हैं चूहे
कोटा सम्भाग के सबसे बड़े अस्पताल में चूहों का आतंक इस कदर है कि पहले भी कई मरीजों को वो अपना निशाना बना चुके हैं। हॉस्पिटल के उपाधीक्षक डॉ समीर टंडन का कहना है कि, ”यहां पेस्टीसाइड कंट्रोल कार्यक्रम चला रखा है, जिसके तहत यहां मच्छर, मक्खी, कॉकरोच तक नहीं आ सकते, ऐसे में ये चिंता का विषय है कि चूहे कहां से आ गए। तीन महीने में एक बार पेस्टीसाइड कंट्रोल किया जाता है।” उन्होंने बाद में यहां तक कह दिया कि अपने मरीज का ध्यान रखना परिजनों की भी जिम्मेदारी है। इंतजाम चाहे जो भी हों, केमिकल के छिड़काव से कीटाणु रहित यूनिट में बड़े-बड़े चूहों का होना चिकित्सा विभाग की लापरवाही का बड़ा उदाहरण है। मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. विजय सरदाना इस मामले में कुछ भी बोलने से बचते रहे।