टिकट वितरण में न वसुंधरा की चली न कटारिया की, केन्द्रीय नेतृत्व ने एक तीर से साधे कई निशाने
1 min readएनसीआई@जयपुर
राजनीति में सहानुभूति लहर का फायदा उठाने के लिए किसी जनप्रतिनिधि के निधन के बाद आमतौर पर उसके परिवार के सदस्य को ही टिकट दिया जाता है। सहाड़ा, सुजानगढ़ और राजसमंद चुनाव में ऐसा ही हुआ था। मगर अब धरियावाद उपचुनाव में ऐसा नहीं हुआ। इस मामले में पार्टी ने एक तीर से दो निशाने साधे हैं।
बीजेपी केन्द्रीय नेतृत्व ने परिवारवाद को बढ़ावा नहीं देने के फॉर्मूले की आड़ में वसुंधरा राजे खेमे को उपचुनाव में साइड लाइन कर दिया। पूर्व विधायक गौतमलाल मीणा वसुंधरा राजे के कट्टर समर्थक माने जाते थे। टिकट वितरण में सबसे चौंकाने वाला निर्णय धरियावद से इन्हीं पूर्व विधायक गौतमलाल मीणा के पुत्र कन्हैयालाल मीणा की बजाय खेतसिंह मीणा को टिकट देना रहा।
दरअसल, राजस्थान में होने वाले उपचुनाव में बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व ने टिकट वितरण में एक तीर से कई निशाने साधे हैं। उसने धरियावाद में राजे की नहीं मानी तो वल्लभनगर में कटारिया के पसंद के उम्मीदवार को भी टिकट नहीं दिया।
इस तरह साधे एक तीर से कई निशाने
वल्लभनगर में भी रणधीर सिंह भींडर को टिकट दिए जाने की बात उठी थी। पिछले दिनों दो बार रणधीर सिंह भींडर वसुंधरा से मिल चुके थे। वे वसुंधरा के काफी करीबी माने जाते हैं। ऐसे में यहां भी केन्द्रीय नेतृत्व की चली और चित्तौड़गढ़ सांसद सीपी जोशी की पसंद से हिम्मत सिंह झाला को टिकट दे दिया गया। वल्लभनगर में बीजेपी से गुलाबचंद कटारिया अपने समर्थक उदयलाल डांगी को टिकट दिलाना चाहते थे, मगर ऐसा नहीं हुआ।
नेता प्रतिपक्ष कटारिया को साधने की भी कोशिश
वल्लभनगर से हिम्मत सिंह झाला को टिकट दिया गया। इस प्रकार यहां बीजेपी ने बीच का रास्ता निकाला। कटारिया की पसंद के उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया तो उनके विरोधी रणधीर सिंह भींडर या उनके परिवार को भी टिकट नहीं दिया गया। टिकट तय होने के बाद नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि बीजेपी में एक व्यक्ति टिकट तय नहीं करता है। संगठन के स्तर पर जो नाम तय होते हैं, पार्टी का जो निर्णय होता है, वही सबका निर्णय होता है।
बीजेपी ने परिवारवाद को बढ़ावा नहीं दिया
वल्लभनगर में भले ही कटारिया की पंसद के उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया गया, लेकिन धरियावद की टिकट हासिल करने वाले खेतसिंह मीणा उनके करीबी बताए जाते हैं। धरियावद को लेकर कटारिया ने कहा कि यहां कन्हैया का टिकट तय था, मगर बाद में केन्द्र ने परिवारवाद को बढ़ावा नहीं देने के फार्मूले पर काम करते हुए बदलाव किया। कटारिया ने कहा कि सब एकजुट होकर चुनाव लड़ेंगे, जो नाराज हैं उन्हें मनाएंगे।
भाजपा में फिलहाल विरोध के स्वर नहीं
इस उपचुनाव में यह बात भी दिलचस्प है कि टिकट वितरण को लेकर बीते दिनों वसुंधरा राजे की भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया से जयपुर में मुलाकात हुई थी। इसके बाद से नामों को लेकर सहमति बनी हुई है। ऐसे में ऊपरी तौर पर भाजपा में न तो वसुंधरा राजे का विरोध है और न कटारिया का। दोनों सीटें मेवाड़ की होने के कारण कटारिया से भी विचार-विमर्श किया गया था।