शराब पीकर अदालत आने वाले जज की नौकरी गई, हाईकोर्ट ने राहत देने से किया इनकार
1 min readयह मामला महाराष्ट्र के नंदुरबार का है। सिविल जज अक्सर शराब के नशे में सुनवाई के लिए कोर्ट रूम में आते थे। जिला जज को जब उनकी इस हरकत का पता चला तो उन्हें पद से हटा दिया गया। अब इस मामले में बम्बई हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है।
एनसीआई@नई दिल्ली
मुम्बई के एक सिविल जज के शराब पीकर अदालत में आने और ऐसी ही हालत में सुनवाई करने वाले जज अनिरुद्ध पाठक को बम्बई हाईकोर्ट ने राहत देने से इनकार कर दिया। दरअसल जज अनिरुद्ध पाठक की हरकत का पता चलने पर सेशन जज ने उन्हें सस्पेंड कर दिया था। इस पर उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए फिर से बहाल किए जाने की अपील की थी। कोर्ट ने उन्हें राहत देने से इनकार करते हुए कहा कि न्यायाधीशों को गरिमा के साथ काम करना चाहिए और ऐसे आचरण या व्यवहार में शामिल नहीं होना चाहिए, जिससे न्यायपालिका की छवि प्रभावित हो।
52 वर्षीय सिविल जज अनिरुद्ध पाठक ने कथित अनुचित व्यवहार और कई बार नशे की हालत में अदालत आने के कारण सिविल जज जूनियर डिवीजन के पद से हटाए जाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। जज ने जनवरी 2022 में महाराष्ट्र सरकार के कानून और न्यायपालिका विभाग द्वारा पारित एक आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उन्हें न्यायिक सेवा से हटा दिया गया था। यह आदेश नंदुरबार के प्रधान जिला और सत्र न्यायाधीश के द्वारा एक रिपोर्ट प्रस्तुत किए जाने के बाद पारित किया गया था।
हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति एएस चंदुरकर और न्यायमूर्ति जेएस जैन की बेंच ने याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि उन्हें हटाने का आदेश विकृत नहीं लगा। बेंच ने कहा, “यह एक सार्वभौमिक रूप से स्वीकृत मानदंड है कि न्यायाधीशों और न्यायिक अधिकारियों को गरिमा के साथ काम करना चाहिए और ऐसे आचरण या व्यवहार में शामिल नहीं होना चाहिए, जिससे न्यायपालिका की छवि प्रभावित होने की सम्भावना हो या जो न्यायिक अधिकारी के लिए अशोभनीय हो।” इसमें कहा गया है कि यदि न्यायपालिका के सदस्य ऐसे व्यवहार में लिप्त होते हैं जो न्यायिक अधिकारी के लिए निंदनीय या अशोभनीय है। इसमें अदालतें कोई राहत नहीं दे सकती हैं।
यह है मामला
अनिरुद्ध पाठक को जिन आरोपों में नौकरी से हटाया गया, उनमें टाइमिंग का पालन न करना, अक्सर छुट्टी कर देना और अदालत में शराब पीकर जाना शामिल है। इससे पहले भी स्टाफ के कई लोगों ने शिकायत की थी कि अनिरुद्ध पाठक अक्सर शराब पीकर कोर्ट पहुंचते हैं। इन आरोपों के चलते उन पर एक्शन हुआ था और उन्हें नौकरी से ही बर्खास्त कर दिया गया।