May 12, 2024

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दिल्ली हाईकोर्ट की कड़ी टिप्पणी: केजरीवाल को सिर्फ सत्ता की चाह, गिरफ्तारी के बावजूद इस्तीफा नहीं दिया, व्यक्तिगत हित को सबसे ऊपर रखा

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दिल्ली हाईकोर्ट की कड़ी टिप्पणी: केजरीवाल को सिर्फ सत्ता की चाह, गिरफ्तारी के बावजूद इस्तीफा नहीं दिया, व्यक्तिगत हित को सबसे ऊपर रखा।

एनसीआई@नई दिल्ली

दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली नगर निगम (MCD) स्कूलों में 2 लाख से ज्यादा बच्चों को किताबें और यूनिफॉर्म मिलने में देरी के मामले में केजरीवाल सरकार को फटकार लगाई। कोर्ट ने शुक्रवार, 26 अप्रेल को कहा कि अरविंद केजरीवाल ने शराब नीति केस में गिरफ्तारी के बावजूद इस्तीफा न देकर व्यक्तिगत हित को राष्ट्रीय हित से ऊपर रखा है।

एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की डिवीजन बेंच ने कहा कि केजरीवाल को सिर्फ सत्ता की चाहत है। दिक्कत यह है कि आप सत्ता हथियाने की कोशिश कर रहे हैं। यही कारण है कि आपको सत्ता नहीं मिल रही है।

दिल्ली हाईकोर्ट सोशल ज्यूरिस्ट नामक संगठन की ओर से दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था। इसमें कहा गया था कि एमसीडी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को किताबें नहीं मिली हैं। नगर निगम की आपसी खींचतान के कारण बच्चे टिन शेड में पढ़ने को मजबूर हैं।

एमसीडी कमिश्नर ने कोर्ट को बताया था कि एमसीडी के पास कोई स्टेडिंग कमेटी नहीं है। इस कारण बच्चों को नोटबुक, स्टेशनरी आइटम, यूनिफॉर्म और स्कूल बैग नहीं मिले हैं। क्योंकि, सिर्फ स्टेडिंग कमेटी के पास 5 करोड़ रुपए से ज्यादा का कॉन्ट्रेक्ट देने की शक्ति और अधिकार है।

इस पर दिल्ली सरकार के वकील शादान फरासत ने कोर्ट में दलील दी कि एमसीडी में स्टेंडिंग कमेटी न होने का कारण उप राज्यपाल वीके सक्सेना द्वारा अवैध तरीके से एल्डरमेन की नियुक्ति करना है। यह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है।

फरासत ने यह भी कहा कि दिल्ली सरकार के पास वैसे भी ज्यादा शक्तियां नहीं हैं। एमसीडी की स्थाई समिति की गैर मौजूदगी में किसी अधिकारी को शक्तियां सौंपने के लिए मुख्यमंत्री की सहमति की जरूरत होगी, चूंकि वह अभी हिरासत में हैं, इसलिए देरी हो रही है।

इस पर कोर्ट ने कहा कि इसका मतलब यह नहीं है कि छात्रों को किताबों के बिना पढ़ने के लिए छोड़ दिया जाए। दिल्ली सरकार खुद चाहती थी कि केजरीवाल जेल में रहते हुए सरकार चलाएं। हमने हमेशा इसका विरोध किया है।

कोर्ट ने मंत्री सौरभ भारद्वाज पर भी ट‍िप्‍पणी की

हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार में शहरी विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज पर भी टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि सौरभ ने छात्रों की हालत पर आंखें मूंद ली हैं। वे घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं।

कोर्ट ने यह टिप्पणी तब की जब दिल्ली सरकार के वकील शादान फरासत ने कहा कि उन्हें सौरभ भारद्वाज से निर्देश मिले हैं कि एमसीडी की स्थायी समिति की गैरमौजूदगी में किसी उपयुक्त प्राधिकारी को शक्तियां सौंपने के लिए मुख्यमंत्री की सहमति की जरूरत होगी।

कोर्ट ने कहा कि या तो आपको निर्देश देने वाले के पास दिल नहीं है या आंखें नहीं हैं। उन्होंने कुछ भी न देखने का फैसला कर लिया है। कोर्ट ने इस मामले में दिल्ली सरकार को दो दिन में जरूरी कार्रवाई करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि सोमवार (29 अप्रेल) को फैसला सुनाया जाएगा।

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