June 22, 2025

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अगर पाकिस्तान बंदूकों से जम्मू-कश्मीर बंद कराता है तो हम डंडों का इस्तेमाल कर क्या गलत करते हैं?: एलजी सिन्हा का दबंग जवाब

अगर पाकिस्तान बंदूकों से जम्मू-कश्मीर बंद कराता है तो हम डंडों का इस्तेमाल कर क्या गलत करते हैं?: एलजी सिन्हा का दबंग जवाब

एनसीआई@जम्मू

‘अगर पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर को बंद करने के लिए बंदूकों के आतंक का सहारा लेता है, तो क्या गलत है कि हम उसे जबाव देने के लिए डंडों का इस्तेमाल करते हैं? जम्मू-कश्मीर के लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा ने एक पत्रकार की किताब की लॉन्चिंग के मौके पर ऐसे ही कई दबंग जवाबों से अपनी स्ट्रेटजी जाहिर की। यहां उन्होंने यह भी कहा कि वे जब तक जम्मू-कश्मीर के गवर्नर हैं, तब तक वे इस सम्बन्ध में कोई कॉम्प्रोमाइज नहीं होने देंगे।

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, मनोज सिन्हा ने पत्रकार बशीर असद की किताब ‘कश्मीर: द वॉर ऑफ नैरेटिव्स’ की लॉन्चिंग के मौके पर ऐसी कई बातें कहीं। सिन्हा ने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के दो साल पूरे होने के सम्बन्ध में कहा कि, 5 अगस्त के दिन प्रदेश में बेहतर हालात दिखाने के लिए फोर्स का इस्तेमाल नहीं किया गया। वहां हालात बेहतर ही हैं। लोगों ने मुझसे कहा कि 5 अगस्त को प्रदेश बंद होगा। तब मुझे समझ नहीं आया कि 5 अगस्त कोई खास तारीख है, लेकिन उस दिन कोई हड़ताल या बंद नहीं लगा।

डंडे के दम पर लोगों को शॉपिंग के लिए नहीं भेजा जा सकता

सिन्हा ने कहा कि, 5 अगस्त को दिन के आखिर में एक पत्रकार ने मुझसे कहा कि मैंने डंडे के दम पर यह सुनिश्चित किया कि बंद न लगे। इसका मैंने जवाब दिया-“सारा ट्रैफिक चल रहा था और लोग बड़ी संख्या में शॉपिंग कर रहे थे। ये सब डंडे के जोर पर नहीं हो सकता, लेकिन अगर आप मानते हैं तो मैं इसे स्वीकार करता हूं। बंद भी तो पाकिस्तान और आतंकवाद की बंदूक से होता है। अगर मैंने डंडे का प्रयोग किया तो कुछ बुरा नहीं।”

मेरे रहते इस स्टेंड में कोई कॉम्प्रोमाइज नहीं होगा

लेफ्टिनेंट गवर्नर सिन्हा ने आगे कहा, मैं मानता हूं कि यह एकदम साफ होना चाहिए कि यह एक बेहद बारीक लाइन है और इसे किसी को पार करने की अनुमति नहीं है। और जब तक मैं यहां हूं,तब तक यही स्टेंड होगा। इसमें कोई समझौता नहीं होगा। कश्मीर पर कुछ लोग स्वघोषित एक्सपर्ट बनकर इंटरनेशनल लेवल पर कहानियां बुन रहे हैं। यह जरूरी है कि हम इन गलत धारणाओं से दूर जाएं। यह जरूरी है कि यह देखा जाए कि लोग क्या चाहते हैं और उनकी जिंदगी कैसे बेहतर बनाई जा सकती है।

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